नारी शक्ति
नारी शक्ति... नारी को शक्ति के रूप में कितने लोग मानते हैं ? कहते सभी हैं कि" नारी शक्ति सब भारी " नारी लक्ष्मी है दुर्गा हैं सरस्वती का रूप है । चलो आप नारी को देवी मत बनाइए उन्हें नवरात्र में दुर्गा बनाकर उनकी पूजा भी मत करिए । लेकिन ... एक स्त्री को इंसान ही मान लीजिए ।
आज भी बहुत जगहों पर स्त्री की दशा बहुत ही दयनीय है । ऐसा नहीं है कि गांवों में नारी की दुर्दशा ज्यादा होती है क्योंकि वह एक गांव हैं । ऐसा बिल्कुल भी नहीं है , आज ज्यादातर मामले शहर और पढ़ें लिखे लोगों के घरों में होती है । नारी को शक्ति कह देने से कुछ नहीं होता । जब तक आप उसे एक शक्ति के रुप में नहीं देखते । आज भी नारी को सिर्फ और सिर्फ भोग की वस्तु समझा जाता है ना कि शक्ति का रुप ।
आज भी कई जगहों पर एक स्त्री अपने आप को सुरक्षित नहीं समझती । कहीं ना कहीं इस सभ्य समाज के लोगों की गंदी नजरों से अपने आप को बचाकर रखने की कोशिश करती हैं ।
आज भी आप देखेंगे एक लड़की अगर बस का इंतजार करते हुए अकेली खड़ी हैं । तो वो सबके लिए एक संपत्ति बन जाती है । कुछ आवारा किस्म के लोग उस लड़की को आंखों से भी छूने की कोशिश करेंगे तो कोई उसके आसपास अश्लील गाने गायेगें । और इससे भी मन नहीं भरा तो उस लड़की को छूने से भी नहीं हिचकेगा ।
मेरी बातें कड़वी जरूर है पर झूठी भी नहीं है । अगर वही लड़की इन सबका विरोध करके उसे कुछ कहे या थप्पड़ ही मार दे । फिर चाहे जो हो जाये , अधिकतर लोगों की नजरों में गलत लड़की ही होती है । कोई उसके पहनावे कर सवाल उठायेंगे तो उसके साज सिंगार पर । मतलब सारी गलती लड़कियों की हो जाती है ।" जरूर इसे ने कुछ किया होगा , तभी तो वो लड़का इसके आसपास मंडरा रहा था " ऐसी-वैसी बातें करेंगे ।
अभी कुछ दिन पहले की ही बात ले लीजिए । कुछ दिन पहले हलछठ का व्रत था जिसमें मां अपने बच्चों के लिए व्रत रखतीं हैं । हमारे यहां तो लड़के और लड़कियां दोनों के लिए रखतें हैं यह व्रत । क्योंकि यह संतान की लंबी उम्र के लिए होती है । लेकिन कहीं - कहीं आज भी यह व्रत सिर्फ लड़कों के लिए रखी जाती है । और यह प्रथा वहां हैं जहां अधिकतर पढ़े लिखे लोग रहते हैं ।
नारी शक्ति ... हम्म कहीं - कहीं ही ये चरितार्थ हैं वरना आज भी लोग नारी को शक्ति का दर्जा नहीं देते । जब तक वो उसकी असल में उस शक्ति का अनुभव नहीं कर लेते ।
" या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः"
" या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः"
या देवी सर्वभूतेषु विद्या रुपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः "
"या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता , नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः "
जो , शक्ति , माता , विद्या , धन (लक्ष्मी ) का रुप हैं । जो शक्ति ही नहीं आदिशक्ति का अंश है । उसे भोग की वस्तु ना समझ कर सम्मान सहित आदर करना चाहिए ।
और भी बहुत सारे मंत्र है जिसमें सिर्फ एक ही शब्दों पर महत्व दिया गया है । देवी अर्थात आदर से नारी को देवी का ही रूप मानते हैं । हमारे गुरु ने हमें सिर्फ एक बात सिखाई है । कि अपने जीवनकाल में कभी भी किसी स्त्री का अपमान मत करना । चाहे वो कोई भी हो कामवाली हो या रास्ते पर गुजरने वाली कोई नारी हो । किसी भी स्त्री का अपमान स्वयं ईश्वर का अपमान होता है । उससे करने में जितना बचो बच कर ही रहो । क्योंकि स्त्री का अपमान तो दुर्योधन और रावण ने भी किया था । और उसका नतीजा सभी को पता है ।
जो , शक्ति , माता , विद्या , धन (लक्ष्मी ) का रुप हैं । जो शक्ति ही नहीं आदिशक्ति का अंश है । उसे भोग की वस्तु ना समझ कर सम्मान सहित आदर करना चाहिए ।
क्योंकि नारी अपने आप में शक्ति का एक रूप है । जब बनाने पर आती है । तो सामने वाले की दुनिया बदल देती हैं और जब बिगाड़ने पर आती है । तो सामने वाले का अस्तित्व ही मिटाकर रख देती हैं ।
समाप्त
श्वेता सोनी
रायपुर ( छ. ग .)
Swati chourasia
15-Sep-2022 04:17 PM
Very beautiful 👌
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Anshumandwivedi426
05-Sep-2022 05:07 PM
अद्भुत रचना
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Chetna swrnkar
24-Aug-2022 12:36 PM
Bahut achhi rachana
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